अब आम पर भी मंडरा रहा है ट्रंप के टैरिफ़ का ख़तरा
मलिहाबाद (उत्तर प्रदेश):
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगभग 30 किलोमीटर दूर बसे मलिहाबाद के दशहरी आम की मिठास सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में मशहूर है। गर्मियों के मौसम में इस आम का लोगों को बेसब्री से इंतज़ार रहता है। आमतौर पर जून के पहले हफ्ते से यह आम बाज़ार में दस्तक देना शुरू कर देता है।
हालांकि इस साल दशहरी आम के किसानों और निर्यातकों की पेशानी पर समय से पहले ही चिंता की लकीरें उभर आई हैं। इसकी वजह है—अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए 26% रेसिप्रोकल टैरिफ़ (प्रतिस्पर्धी शुल्क), जिससे भारतीय आम के अमेरिका में निर्यात पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
किसानों की चिंता बढ़ी
मलिहाबाद के आम उत्पादक किसानों का कहना है कि पहले ही उत्पादन लागत बढ़ गई है, ऊपर से अब अगर निर्यात में बाधा आती है तो उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। दशहरी आम की एक बड़ी खेप हर साल अमेरिका समेत कई देशों में जाती है, जहां इसकी मांग बहुत अधिक होती है।
स्थानीय किसान रहमत अली कहते हैं,
“हम साल भर मेहनत करते हैं, आम की देखभाल करते हैं, लेकिन अगर टैरिफ़ के कारण एक्सपोर्ट रुक गया तो हमारी कमाई पर सीधा असर पड़ेगा।”
निर्यातकों की उम्मीदें धुंधली
निर्यातकों का मानना है कि अमेरिका के नए टैरिफ़ नियमों से न सिर्फ आम बल्कि अन्य कृषि उत्पादों का भी बाज़ार प्रभावित होगा। पहले से ही वैश्विक व्यापार में तनाव और परिवहन लागत के बढ़ने से व्यवसाय प्रभावित हुआ है, और अब ट्रंप के इस फ़ैसले ने चिंता और गहरी कर दी है।
आम निर्यातक शरद मिश्रा बताते हैं:
“दशहरी आम की मिठास अमेरिकी बाज़ार में काफी पसंद की जाती है, लेकिन टैरिफ़ बढ़ने से इसकी कीमत वहां काफी बढ़ जाएगी, जिससे खरीदार घट सकते हैं।”
सरकार से राहत की उम्मीद
किसानों और निर्यातकों को अब केंद्र सरकार से राहत की उम्मीद है। उनका मानना है कि भारत को कूटनीतिक स्तर पर अमेरिका से बातचीत कर इस टैरिफ़ को कम करवाने की कोशिश करनी चाहिए, ताकि आम किसानों का हित सुरक्षित रह सके।













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