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ट्रंप टैरिफ़ नीति: क्या भारत वैश्विक शुल्क युद्ध में संतुलन बना पाएगा? जानिए 5 प्रमुख बिंदुओं में असर

नई दिल्ली: अमेरिका ने भारत पर लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ (आयात शुल्क) को 90 दिनों के लिए निलंबित कर दिया है, जो 9 जुलाई 2025 तक प्रभावी रहेगा। व्हाइट हाउस के कार्यकारी आदेशों के अनुसार, यह राहत अस्थायी है और समीक्षा के अधीन है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल को करीब 60 देशों से अमेरिका में आयात होने वाले सामानों पर सार्वभौमिक शुल्क लगा दिए हैं। इसके साथ ही भारत जैसे देशों पर अतिरिक्त भारी टैरिफ भी लगाए गए हैं।

🧾 क्या हैं टैरिफ?

टैरिफ यानी आयात शुल्क, देशों द्वारा घरेलू उद्योगों की रक्षा के लिए लगाया जाने वाला एक प्रकार का कर होता है। इससे विदेशी उत्पाद महंगे हो जाते हैं, जिससे उनकी मांग घट सकती है।

🇮🇳 भारत पर क्या असर पड़ेगा? – 5 बिंदुओं में विश्लेषण:

  1. भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धा घटेगी:
    यदि अमेरिका भारतीय स्टील पर 25% टैरिफ लगाता है, तो अमेरिकी बाजार में भारतीय स्टील महंगा हो जाएगा। इससे भारतीय कंपनियों की प्रतिस्पर्धा कम हो सकती है।

  2. अस्थायी राहत, लेकिन अनिश्चित भविष्य:
    टैरिफ 90 दिन के लिए रोका गया है, पर यह स्पष्ट नहीं है कि उसके बाद भारत को स्थायी छूट मिलेगी या नहीं।

  3. मुख्य व्यापारिक साझेदारों पर प्रभाव:
    अमेरिका भारत का एक प्रमुख निर्यात बाजार है। कपड़ा, स्टील, फार्मा जैसे क्षेत्रों में टैरिफ से बड़ा असर पड़ सकता है।

  4. वैश्विक व्यापार पर असर:
    अमेरिका के इस कदम से वैश्विक व्यापार में अस्थिरता बढ़ सकती है, जिससे अन्य देशों को भी व्यापारिक रणनीतियाँ बदलनी पड़ सकती हैं।

  5. भारत की रणनीति क्या होगी?
    भारत को अब विकल्पों की तलाश करनी होगी — जैसे वैकल्पिक बाजार, स्थानीय उत्पादन में बढ़ोतरी, और अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौतों को मजबूत करना।


निष्कर्ष:
हालांकि अमेरिका द्वारा टैरिफ में दी गई अस्थायी राहत भारत के लिए एक सांस लेने का मौका है, लेकिन यह वैश्विक व्यापार नीति की बदलती परिस्थितियों में भारत की रणनीतिक समझ और तत्परता की कड़ी परीक्षा भी है।

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